Success Story: जैविक खेती से लहलहा उठी किसान की किस्मत की फसल, अब अन्य किसान भी ले रहे हैं प्रेरणा
Success Story: भारत में जैविक तरीके से फलों और सब्जियों की खेती करने वाले किसानों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी सैकड़ों किसान इस कृषि पद्धति (Agricultural Practice) को अपना रहे हैं। इन किसानों का मुख्य विचार यह है कि रासायनिक खाद और कीटनाशकों का उपयोग लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। इसलिए, उपभोक्ताओं को शुद्ध और केमिकल रहित उत्पाद मिलें, इसके लिए जैविक खेती (Organic Farming) को बढ़ावा देना आवश्यक है। यह न केवल हमारी मिट्टी के लिए, बल्कि भावी पीढ़ियों के स्वास्थ्य के लिए भी एक सही कदम है।

किसान अनिल शर्मा की सफलता की कहानी
दुर्ग के रहने वाले किसान अनिल शर्मा ऐसे ही उन्नत किसान (Progressive Farmer) हैं जिन्होंने अपनी मेहनत से जैविक उत्पादन के क्षेत्र में एक नई मिसाल (Benchmark) कायम की है। अनिल शर्मा का कहना है कि वह यह खेती सिर्फ लाभ कमाने (Profit Earning) के लिए नहीं करते, बल्कि लोगों की सेहत से खिलवाड़ न हो, इसलिए कर रहे हैं। उनके अनुसार, जैविक तरीके से प्राप्त होने वाला उत्पादन पूरी तरह से सेहतमंद उत्पाद होता है, जो हमारा स्वास्थ्य बेहतर करता है और बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) भी बढ़ाता है।
अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत
अनिल शर्मा कहते हैं कि अब अन्य किसानों को भी जैविक खेती के फायदे समझ आने लगे हैं। बड़ी संख्या में किसान उनके सफलता मॉडल (Success Model) को देखकर जैविक खेती की ओर रुख कर रहे हैं। किसान अनिल बताते हैं कि जैविक खेती में मेहनत थोड़ी ज्यादा लगती है, लेकिन इसकी उपज इतनी उच्च-गुणवत्ता वाली होती है कि मुनाफा भी दोगुना (Double) मिलता है। जैविक फलों और सब्जियों की बाजार में मांग (Demand) बहुत अधिक है, और उपभोक्ता भी इन्हें खरीदने पर जोर देते हैं।
450 एकड़ का कृषि साम्राज्य और टर्नओवर
धमधा ब्लॉक में धौराभाठा गाँव के निवासी अनिल शर्मा पिछले कई वर्षों से सफल जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने 450 एकड़ की विशाल भूमि पर जैविक तरीके से सीताफल, ड्रैगन फ्रूट, पपीता, जाम फल (अमरूद), केला सहित कई फलों की खेती (Cultivation) की है। उनके उत्पादों (Products) की मांग छत्तीसगढ़ के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी बनी हुई है। सरकारी योजनाओं (Government Schemes) का लाभ उठाकर और कड़ी मेहनत से आज अनिल शर्मा इतने बड़े पैमाने (Scale) पर फलों का उत्पादन (Fruit Production) कर रहे हैं। वह बताते हैं कि उनका सालाना टर्नओवर (Annual Turnover) करीब 10 करोड़ रुपये तक पहुँच गया है।
गो-आधारित खाद प्रबंधन (Cow-Based Manure Management)
अनिल शर्मा ने अपनी खेती के लिए जैविक खाद (Organic Manure) तैयार करने के लिए गिर नस्ल (Gir Breed) की गायों का एक फार्म हाउस (Farm House) खोला है। वह गायों के गोबर और मूत्र से तैयार खाद का इस्तेमाल अपनी खेती में करते हैं। अनिल शर्मा ने स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से 2014 से जैविक खेती की शुरुआत की। समय-समय पर शासन की योजनाओं का लाभ लेकर उन्होंने अपने फलों के बागान (Fruit Orchards) को आधुनिक (Modern) और उच्च उत्पादक बनाया।
रोजगार और उद्यमिता के अवसर (Employment and Entrepreneurship Opportunities)
अनिल शर्मा की मेहनत (Diligence) ने आसपास के गाँवों के लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर (Job Opportunities) पैदा किए हैं। उनके सहयोगी राजेश पुनिया बताते हैं कि जैविक तरीके से उगाए गए फलों की लाइफ (Shelf Life) लंबी होती है। पुनिया यह भी बताते हैं कि उनके बागान में लगे सीताफल से पल्प (Pulp) बनाया जाता है, जिसका उपयोग रबड़ी, आइसक्रीम और शेक बनाने में होता है। किसान अनिल का कहना है कि यदि किसान सरकारी योजनाओं का सही उपयोग करें और मेहनत से काम करें तो जैविक खेती से बढ़िया आय (Excellent Income) होगी और जमीन भी उपजाऊ बनी रहेगी। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural Economy) को भी मजबूती प्रदान करता है।
जैविक खेती का सार
जैविक खेती एक ऐसी कृषि तकनीक है जिसमें रासायनिक उर्वरकों (Synthetic Fertilizers), कीटनाशकों, और सिंथेटिक दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाता। केमिकल के स्थान पर, इसमें जैविक खाद, हरी खाद और फसल चक्र जैसे प्राकृतिक तरीकों का उपयोग किया जाता है। जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने, जैव विविधता को बढ़ावा देने और स्वस्थ, पौष्टिक भोजन का उत्पादन करने में मदद मिलती है।

