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Chief Minister Dairy Animal Scheme: बैगा हितग्राही जुगराजी के घर आई उन्नत मुर्रा भैंस, CM योजना बनी आर्थिक संबल

Chief Minister Dairy Animal Scheme: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय योजना’ विशेष रूप से पिछड़ी जनजातियों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो रही है। इस महत्वाकांक्षी पहल का मुख्य लक्ष्य बैगा, भारिया और सहारिया जैसी अति-पिछड़ी समुदायों की जीवन-शैली और पोषण के स्तर में गुणात्मक सुधार लाना है। हाल ही में, उमरिया जिले में इस योजना के अंतर्गत 17 बैगा लाभार्थियों को मुर्रा नस्ल की उन्नत भैंसों का वितरण किया गया, जिसने उनके चेहरे पर एक नई उम्मीद और आत्मविश्वास भर दिया है। यह वितरण सिर्फ पशुओं का नहीं, बल्कि इन परिवारों के लिए बेहतर आर्थिक भविष्य की गारंटी का प्रतीक है।

Chief minister dairy animal scheme
Chief minister dairy animal scheme

आर्थिक सशक्तिकरण की ओर एक बड़ा कदम: भारी सब्सिडी मॉडल

यह योजना (Chief Minister Dairy Animal Scheme) आदिवासी समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में राज्य सरकार की गहरी प्रतिबद्धता (commitment) को दर्शाती है। योजना के तहत, इन विशेष जनजातियों से संबंध रखने वाले लाभार्थियों को दुधारू पशु 90 प्रतिशत की भारी सब्सिडी पर उपलब्ध कराए जाते हैं। इसका मतलब है कि लाभार्थी को कुल लागत का केवल 10 प्रतिशत ही वहन करना पड़ता है, जो उनके लिए एक बहुत बड़ी राहत है। यह वित्तीय मॉडल सुनिश्चित करता है कि आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद, ये परिवार बिना किसी बड़े कर्ज के बोझ के एक आय-सृजन करने वाली संपत्ति प्राप्त कर सकें। इस कदम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी अप्रत्याशित बढ़ावा

जुगराजी बैगा की कहानी: एक सफल लाभार्थी का अनुभव

करकेली ग्राम पंचायत के निवासी, जुगराजी बैगा इस योजना के सफल क्रियान्वयन का एक ज्वलंत उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस योजना का लाभ लेने के लिए कार्यालय में विधिवत आवेदन किया था। उनकी पात्रता की पुष्टि होने के बाद, उन्हें योजना के तहत मुर्रा नस्ल की एक उच्च-गुणवत्ता वाली दुधारू भैंस प्राप्त हुई। जुगराजी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, “मुझे प्रदेश सरकार की तरफ से 90 प्रतिशत का अनुदान मिला, और मैंने अपनी ओर से केवल 10 प्रतिशत का अंशदान दिया। यह सहायता मेरे जैसे गरीब आदिवासी के लिए अविश्वसनीय है।” यह व्यक्तिगत सफलता की कहानी दर्शाती है कि सरकारी योजनाएँ कैसे सीधे तौर पर ज़रूरतमंदों के जीवन को छू सकती हैं।

पशु आहार, बीमा और समग्र पैकेज की सुविधा

मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय योजना को केवल पशु वितरण तक ही सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि इसे एक समग्र पैकेज के रूप में डिज़ाइन किया गया है ताकि लाभार्थियों को शुरुआती चरण में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। जुगराजी बैगा ने बताया कि भैंस के साथ-साथ उन्हें 4.50 क्विंटल गुणवत्तापूर्ण पशु आहार भी प्रदान किया गया है। यह पशु आहार, भैंस के स्वस्थ रहने और शुरुआती महीनों में पर्याप्त दूध उत्पादन (milk production) सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, राज्य सरकार द्वारा पशु का एक साल का बीमा भी कराया गया है। यह बीमा कवर लाभार्थियों को किसी भी आकस्मिक नुकसान या पशु की बीमारी से उत्पन्न होने वाले वित्तीय जोखिम से बचाता है, जिससे उनकी आय सुरक्षा बनी रहती है।

दूध विक्रय से आय और बेहतर पारिवारिक संचालन

जुगराजी बैगा इस नई पहल से मिलने वाले संभावित लाभों को लेकर बेहद उत्साहित हैं। उन्होंने अपनी आगे की योजना बताते हुए कहा कि वे भैंस का दूध स्थानीय बाजारों में विक्रय करेंगे। दूध की बिक्री से होने वाली नियमित आय उन्हें अपने परिवार का संचालन एक बेहतर तरीके से करने में सक्षम बनाएगी। “इस आय से मेरे बच्चों की शिक्षा और परिवार के पोषण स्तर में सुधार आएगा,” उन्होंने कहा। जुगराजी ने इस संवेदनशील (sensitive) और दूरदर्शी (far-sighted) योजना के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को हृदय से धन्यवाद दिया। उनका यह बयान इस बात को पुष्ट करता है कि यह योजना केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक विकास और आत्म-सम्मान को बढ़ावा देने वाली भी है।

विशेष जनजातियों के लिए पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करना

इस योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू पोषण सुरक्षा (nutritional security) सुनिश्चित करना भी है। बैगा, भारिया और सहारिया जनजातियाँ अक्सर पोषण की कमी से जूझती हैं। घर में दुधारू पशु होने से, परिवार को दूध और दूध से बने उत्पादों के रूप में प्रोटीन और कैल्शियम का एक स्थिर स्रोत मिलता है। यह विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस प्रकार, ‘मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय योजना’ गरीबी उन्मूलन और स्वास्थ्य सुधार (health improvement) के दोहरे उद्देश्य (dual objective) को एक साथ साध रही है। यह पहल इन समुदायों को राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा में लाने में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी।

 

 

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