Periwinkle Cultivation: मुनाफे का सौदा है इस फूल की खेती, जानें सदाबहार पौधे की उन्नत किस्में
Periwinkle Cultivation: पेरीविंकल, जिसे आमतौर पर सदाबहार (Sadabahar) के नाम से जाना जाता है, एक बहुवर्षीय सजावटी जड़ी-बूटी है जो भारत के बंजर और रेतीले क्षेत्रों में बहुतायत से पाई जाती है। इसका महत्व केवल इसकी सुंदरता तक सीमित नहीं है; बल्कि, इसके जड़ों और पत्तियों में पाए जाने वाले शक्तिशाली इंडोल एल्केलॉइड्स इसे औषधीय महत्व का खजाना बनाते हैं।

इसकी जड़ों में राउबेसिन और सर्पेंटाइन जैसे यौगिक मौजूद होते हैं, जिनमें एंटी-फिब्रिलिक और हाइपरटेंसिव (Hypertensive) गुण होते हैं, जो इसे हृदय संबंधी (Cardiac) समस्याओं के उपचार के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं। वहीं, इसके पत्तों में विनब्लास्टिन और विनक्रिस्टिन (Vincristine) नामक दो एल्केलॉइड्स पाए जाते हैं, जो पेटेंट किए गए कैंसर-रोधी दवाओं के मुख्य घटक हैं। यह तथ्य भारत के लिए फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट (Pharmaceutical Export) की अपार संभावनाएँ खोलता है।
Periwinkle Cultivation का वैश्विक बाजार और निर्यात की संभावनाएं
पेरीविंकल की वैश्विक स्तर पर भारी मांग है। आँकड़ों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) हर साल लगभग 1000 टन पत्तियाँ आयात (Import) करता है, जबकि पश्चिमी जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स और यूनाइटेड किंगडम (UK) जैसे यूरोपीय देश लगभग 1000 टन जड़ें खरीदते हैं। इस कच्चे माल (Raw Material) की निरंतर और उच्च मांग के बावजूद, भारत में ही इस पौधे से दवा निर्माण (Drug Manufacturing) की पर्याप्त संभावनाएँ (Ample Opportunities) मौजूद हैं, खासकर जब विदेशों में कच्चे माल की मांग में कमी आ रही है। किसानों के लिए यह फसल विशेष रूप से आकर्षक है क्योंकि यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है और सूखे की परिस्थितियों (Drought Conditions) को भी आसानी से सहन कर लेती है। यह फसल कृषि विविधीकरण (Agricultural Diversification) और किसानों की आय वृद्धि (Income Growth) के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है।
पौधे की वनस्पति और बागवानी पहलू (Botanical Description and Horticultural Aspect)
पेरीविंकल एक बहुवर्षीय शाकीय पौधा (Perennial Herbaceous Plant) है, जिसे अक्सर इसके आकर्षक गुलाबी और सफेद फूलों के कारण सजावटी पौधे (Ornamental Plant) के रूप में बगीचों में लगाया जाता है। इसके फूल पूरे वर्ष खिलते रहते हैं, जो इसकी सजावटी अपील (Ornamental Appeal) को बढ़ाते हैं। पौधे में लंबी और लचीली शाखाएँ (Flexible Branches) होती हैं जिन पर सरल, विपरीत दिशा में लगी पत्तियाँ होती हैं। फूल आमतौर पर 2-3 के समूह में, अक्षीय (Axillary) और शीर्ष गुच्छों (Terminal Clusters) में आते हैं। इसका फल एक लंबा बेलनाकार फॉलिकल (Cylindrical Follicle) होता है, जिसके अंदर कई छोटे, काले रंग के बीज पाए जाते हैं।
जलवायु और मृदा की आवश्यकताएं (Climate and Soil Requirements)
इस पौधे का विश्वव्यापी वितरण (Worldwide Distribution) यह दर्शाता है कि इसे किसी विशेष जलवायु संबंधी प्रतिबंध (Climatic Restriction) की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, इसका प्राकृतिक आवास (Natural Habitat) मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय (Tropical) और उप-उष्णकटिबंधीय (Sub-Tropical) क्षेत्रों में पाया जाता है। वर्षा आधारित (Rainfed) परिस्थितियों में व्यावसायिक खेती के लिए, लगभग 100 सेंटीमीटर या उससे अधिक समान रूप से वितरित वर्षा को आदर्श माना जाता है।
मिट्टी के प्रकार (Soil Type) के मामले में, यह लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में उग सकता है, लेकिन अत्यधिक क्षारीय (Highly Alkaline) या अत्यधिक जलभराव वाली मिट्टी (Water-Logged Soils) से बचना चाहिए। बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए, ह्यूमस से भरपूर हल्की दोमट या रेतीली मिट्टी (Light Sandy Soil Rich in Humus) सबसे अच्छी मानी जाती है। यह पौधा तटीय क्षेत्रों में भी स्वाभाविक रूप से पनपता है।
प्रजनन और नर्सरी प्रबंधन (Propagation and Nursery Management)
पेरीविंकल का प्रजनन (Propagation) मुख्य रूप से बीजों (Seeds) के माध्यम से किया जाता है। अंकुरण क्षमता (Viability) बनाए रखने के लिए ताज़े बीजों (Fresh Seeds) का उपयोग करना अधिक उपयुक्त होता है। खेती की सुविधा और लागत के आधार पर किसान प्रत्यक्ष बुवाई (Direct Sowing) या नर्सरी विधि (Nursery Sowing) अपना सकते हैं।
- प्रत्यक्ष बुवाई: यह विधि बड़े क्षेत्रफल (Area) में खेती के लिए उपयुक्त है क्योंकि यह बुवाई की लागत (Sowing Cost) को कम करती है। प्रति हेक्टेयर लगभग 2–3 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता होती है, जिन्हें मानसून की शुरुआत में 45 सेंटीमीटर की दूरी पर बनी कतारों में बोया जाता है।
- नर्सरी विधि: इस विधि में लगभग 500 ग्राम बीज पर्याप्त होते हैं। बीजों को मार्च–अप्रैल में बोया जाता है और दो महीने बाद, जब पौधे 6–7 सेंटीमीटर की ऊँचाई प्राप्त कर लेते हैं, तो उन्हें खेत में प्रत्यारोपण (Transplanting) के लिए तैयार माना जाता है। खेत में पौधों को 45 x 30 सेंटीमीटर या 45 x 45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है।
फसल प्रबंधन और उन्नत किस्में (Crop Management and Improved Varieties)
फसल को अच्छी तरह से स्थापित करने के लिए शुरुआती चरण में निराई-गुड़ाई (Weeding) आवश्यक है। पहली निराई बुवाई के 60 दिन बाद और दूसरी उसके 60 दिन बाद की जाती है। चूँकि यह एक सूखा सहनशील (Drought-Resistant) फसल है, इसलिए इसे अत्यधिक सिंचाई (Excessive Irrigation) की आवश्यकता नहीं होती है। हालाँकि, बेहतर पैदावार (Yield) के लिए सीमित मानसून (Limited Monsoon) वाले क्षेत्रों में 4 से 5 बार सिंचाई करना उचित होता है।
उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management) के तहत, पत्तियों और जड़ों दोनों के अच्छे उत्पादन के लिए लगभग 15 टन प्रति हेक्टेयर गोबर की खाद (Farmyard Manure) के साथ उर्वरक मिश्रण (Fertilizer Mixture) दिया जाना चाहिए, जिसमें 50 किलोग्राम नाइट्रोजन (N), 75 किलोग्राम फॉस्फोरस (P₂O₅), और 75 किलोग्राम पोटाश (K₂O) शामिल हो।
सीमैप (CIMAP) और एच.ए.यू. (HAU) जैसे संस्थानों द्वारा विकसित उन्नत किस्में (Improved Varieties) जैसे निर्मल, धवल, और प्रभात बेहतर उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Disease Resistance) प्रदान करती हैं, जो व्यावसायिक व्यवहार्यता (Commercial Viability) को बढ़ाती हैं। उदाहरण के लिए, निर्मल और धवल किस्में क्रमशः कॉलर रॉट (Collar Rot) और डाइ-बैक (Die-Back) रोगों के प्रति प्रतिरोधी (Resistant) हैं।
कटाई और बाजार के लिए तैयारी (Harvesting and Market Preparation)
फसल आमतौर पर एक वर्ष बाद जड़ों की खुदाई (Harvest) के लिए तैयार हो जाती है। पत्तियों की तुड़ाई 6 महीने और 9 महीने बाद की जा सकती है, और तीसरी तुड़ाई पूर्ण कटाई (Complete Harvest) के समय की जाती है। बीज संग्रह (Seed Collection) के लिए पके हुए फल (Matured Fruits) को हाथ से तोड़ना चाहिए। जड़ों की कटाई के लिए पूरे खेत में सिंचाई के बाद जुताई (Ploughing) की जाती है। जड़ों को अच्छी तरह से धोकर छाया में सुखाया जाता है और गट्ठर (Bundles) बनाकर बाजार बिक्री (Market Sale) के लिए तैयार किया जाता है।
उपज (Yield) सिंचित परिस्थितियों (Irrigated Conditions) में वर्षा आधारित परिस्थितियों (Rainfed Conditions) की तुलना में काफी अधिक होती है:
| उत्पाद | वर्षा आधारित (प्रति हेक्टेयर) | सिंचित (प्रति हेक्टेयर) |
| सूखी जड़ें | 0.75 टन | 1.5 टन |
| सूखे तने | 1.0 टन | 1.5 टन |
| सूखी पत्तियाँ | 2.0 टन | 3.0 टन |

