Peanut Cultivation: मूंगफली की फसल को गोजा लट के हमले से बचाने के लिए अपनाएं ये देसी नुस्खा
Peanut Cultivation: मानसून के मौसम के करीब आते ही किसानों ने अपने खेतों में फसलें बोनी शुरू कर दी हैं। मूंगफली की फसल ज़मीन से निकलने लगी है। इस समय मूंगफली की फसल में गोजा लट (Gyoza Braided) का प्रकोप बढ़ रहा है। गोजा लट का लार्वा फसल की पत्तियों को बुरी तरह नुकसान पहुँचाता है, जिससे पौधे की प्रकाश संश्लेषण क्षमता कम हो जाती है और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। किसानों को इसका तुरंत प्रबंधन करना चाहिए। गोजा लट के लार्वा का प्रबंधन किसान बिना कीटनाशकों के घर पर ही कर सकते हैं।

इन प्राकृतिक उपचारों (Natural Remedies) का करें प्रयोग
कृषि विशेषज्ञ सोना राम के अनुसार, किसान नीम के पत्तों का उपयोग करके गोजा लट का उन्मूलन कर सकते हैं। नीम एक शक्तिशाली प्राकृतिक कीटनाशक (Natural Insecticides) है। पाँच मिलीलीटर नीम के तेल को एक लीटर पानी में अच्छी तरह मिलाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए। यह इल्लियों को बढ़ने और खाने से रोकता है। इसके अलावा, नीम की खली खेत की तैयारी के दौरान मिट्टी में डालने पर मिट्टी में मौजूद खतरनाक कीड़ों के अंडों और लार्वा को मार देती है।
गोमूत्र से बना घोल
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, किसानों को लहसुन के पेस्ट या मिर्च पाउडर की थोड़ी मात्रा को एक लीटर गोमूत्र और नौ लीटर पानी में मिलाकर, इस मिश्रण का छिड़काव करना चाहिए। इसकी तेज़ गंध और गुण इल्लियों को दूर भगाते हैं और पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, किसान नर गोजा लट कीट को आकर्षित करने के लिए खेत में फेरोमोन ट्रैप का उपयोग कर सकते हैं।
नर कीटों को पकड़ने से, कम अंडे और लार्वा बनते हैं, जिससे प्रजनन कम होता है। रात में, खेत में मिट्टी के तेल का दीपक या बल्ब जलाकर रखें। नीचे पानी की बाल्टी में थोड़ा कीटनाशक या मिट्टी का तेल मिलाएँ। वयस्क कीट (Adult Insect) प्रकाश की ओर आकर्षित होकर पानी में गिर जाते हैं और मर जाते हैं। साथ ही, प्रभावित पत्तियों को तोड़कर इल्लियों को इकट्ठा करें और यदि कम हों तो उन्हें नष्ट कर दें।
मूंगफली की खेती (Peanut Cultivation) में सफलता के लिए महत्वपूर्ण बातें
कृषि विशेषज्ञ सोना राम ने किसानों को मूंगफली की पैदावार बढ़ाने के लिए जैविक खाद (Organic Fertilizer) का उपयोग करने की सलाह दी। उनके अनुसार, मूंगफली को रोपण, फूल आने और फली बनने के दौरान नियमित रूप से पानी देना चाहिए। इसके अलावा, खरपतवारनाशकों (Herbicide) का सही तरीके से इस्तेमाल करें या समय पर निराई-गुड़ाई करें। नियमित रूप से खेत की निगरानी करने से किसी भी बीमारी या कीट के संक्रमण का जल्द पता चल जाता है। जब फसल पक जाए—यानी जब पत्तियाँ पीली पड़ने लगें—तो उसे तुरंत खोद दें।

