Organic Fertilizer: जानें, घर पर जीवामृत खाद बनाने की प्रक्रिया, कम लागत में मिलेगा मोटा मुनाफा
Organic Fertilizer: आधुनिक समय में लोग रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों से तेजी से दूर होते जा रहे हैं। उद्योग जगत में जैविक तरीके (Biological Methods) से उगाई जाने वाली फसलों की मांग में लगातार वृद्धि देखी जा रही है। आजकल उपभोक्ता ऐसे अनाज और सब्जियां खरीदना चाहते हैं जो रासायनिक मुक्त तरीके से उगाई जाती हैं। ऐसे में किसानों के लिए प्राकृतिक खेती एक व्यवहार्य विकल्प बन रही है। अगर आप किसान हैं और कीटनाशकों का इस्तेमाल किए बिना अच्छी फसल चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए है।

प्राकृतिक खेती: यह क्या है?
प्राकृतिक खेती कृत्रिम कीटनाशकों या उर्वरकों के इस्तेमाल के बिना खेती है। इसमें पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे बेसन, गुड़, गाय के गोबर और पेशाब से खाद और कीटनाशक (Fertilizers and Pesticides) बनाना। इससे ऐसी फसल मिलती है जो स्वास्थ्य के लिए अच्छी होने के साथ-साथ जमीन की उर्वरता भी बढ़ाती है।
घर पर ही अपना खुद का जैविक खाद बनाएं
प्राकृतिक खेती का सबसे महत्वपूर्ण घटक जीवामृत खाद (Jeevamrit Fertilizer) है। यह खाद घर पर बनाना आसान है और पूरी तरह से प्राकृतिक है। कृषि विशेषज्ञ राकेश पांडे का दावा है कि जीवामृत देशी गायों के पेशाब और गोबर से बनाया जाता है।
जीवामृत बनाने की प्रक्रिया
घटक:
- देशी गाय का पांच किलो ताजा गोबर
- पांच लीटर गोमूत्र
- एक किलो गुड़
- एक किलो बेसन
- 200 लीटर पानी
तरीका:
- सबसे पहले एक बड़े ड्रम या टैंक में 200 लीटर पानी भरें।
- इसमें पांच लीटर गाय का मूत्र और पांच किलो गोबर भरें।
- अब इसमें 1 किलो बेसन और 1 किलो गुड़ डालें।
- लकड़ी की छड़ी का इस्तेमाल करके पूरे मिश्रण को अच्छी तरह से हिलाएं।
- मिश्रण को 48 घंटे तक ढककर छायादार जगह पर रखें।
- हर बारह घंटे में इसे हिलाएं।
- 48 घंटे में जीवामृत तैयार हो जाएगा, जो आपकी फसलों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
मुझे इसका इस्तेमाल कैसे करना चाहिए?
- तैयार जीवामृत को 1:5 अनुपात में पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
- ड्रिप सिंचाई इसे फसलों पर लगाने का दूसरा तरीका है।
- यह खाद मिट्टी के सूक्ष्मजीवों को उत्तेजित करती है और फसलों को महत्वपूर्ण पोषक तत्व प्रदान करती है।
- ठोस खाद का एक विकल्प घनजीवामृत है।
- घनजीवामृत वह ठोस पदार्थ है जो जीवामृत के तरल भाग को अलग करने के बाद पीछे रह जाता है। यह एक बेहतरीन जैविक खाद भी है।
- खेत में रोपाई से पहले मिट्टी में घनजीवामृत (Ghanjeevamrit) मिलाने से जमीन की उर्वरता काफी बढ़ जाती है।
प्राकृतिक खाद के फायदे
- मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि
- उच्च गुणवत्ता वाली फसलें
- उत्पादन में वृद्धि
- लागत में कमी
- स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित
- जमीन की उर्वरता बहुत लंबे समय तक बनी रहती है।
प्राकृतिक खेती की क्या जरूरत है?
बाजार में मौजूद रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग करके उगाई जाने वाली अनाज और सब्जी की फसलें अस्वस्थ हो सकती हैं। इनके सेवन से कैंसर, गुर्दे की समस्या और हार्मोन असंतुलन (Hormone Imbalance) सहित कई बीमारियाँ हो सकती हैं। इसके विपरीत, जैविक और प्राकृतिक रूप से उगाए गए खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और शरीर को बीमारियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करते हैं।