AGRICULTURE

Cultivation of Yam: सूरन की इन 5 बेहतरीन किस्मों की करें खेती, मिलेगा भारी मुनाफा

Cultivation of Yam: “शाकाहारियों का मटन” जिमीकंद है, जिसे सूरन की सब्ज़ी के नाम से भी जाना जाता है। दुनिया भर के लोग, चाहे शहरी हों या ग्रामीण, इसे एक लोकप्रिय सब्ज़ी मानते हैं। कृषि विशेषज्ञों (Agricultural Experts) का दावा है कि इसकी खेती से किसान मालामाल हो सकते हैं, क्योंकि यह शुष्क वातावरण में पनपने वाला पौधा है। यह कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़ा भी देता है।

Cultivation of yam
Cultivation of yam

इसके अलावा, इस गर्मी की फसल का अपना धार्मिक महत्व भी है। हिंदू धर्म में, दिवाली की सुबह सूरन खाने से कई स्वास्थ्य लाभ होने की मान्यता है। इसके अलावा, सूरन में फाइबर, फोलिक एसिड, विटामिन सी, विटामिन बी-6 और विटामिन बी-1 (Fiber, Folic Acid, Vitamin C, Vitamin B-6 and Vitamin B-1) भी प्रचुर मात्रा में होता है। इस सूरन में मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन और फॉस्फोरस भी प्रचुर मात्रा में होता है। सूरन के सेवन से शरीर को पर्याप्त विटामिन और पोषक तत्व मिलते हैं। सूरन की खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं।

इन महीनों में करें इसकी खेती

रायबरेली के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा (बीएससी एजी, डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या) ने बताया कि पहले सूरन घरों के पीछे बगीचों या बरामदे में कम मात्रा में उगाया जाता था। सूरन की फसल 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच के तापमान वाले गर्म मौसम में पनपती है।

बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त होती है

बलुई दोमट मिट्टी सूरन की खेती (Cultivation of Yam) के लिए आदर्श होती है। इसके लिए जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। सूरन से लगभग 12 लाख रुपये की आय होती है, जबकि उत्पादन लागत 3 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर होती है। सूरन को पकने में आमतौर पर छह से आठ महीने लगते हैं। पर्याप्त सिंचाई वाले क्षेत्रों में, इसे 15 मार्च से 15 मई तक लगाया जाता है। पानी की सुविधा न होने वाले क्षेत्रों में इसे जून के अंतिम सप्ताह से अगस्त के महीने तक लगाया जाता है।

सूरन के पाँच प्रमुख प्रकार

शिव शंकर वर्मा के अनुसार, स्थानीय सूरन खाने से इसकी तीक्ष्णता के कारण गले में जलन हो सकती है। फिर भी, जिमीकंद की कई किस्में विकसित की गई हैं जिन्हें खाने पर खुजली नहीं होती। इन किस्मों की अब बाज़ारों में काफ़ी माँग है। गजेंद्र एन-15, श्री पद्मा, कुसुम, राजेंद्र ओल कोयंबटूर और संतरा गाछी बेहतर और सबसे विकसित सूरन किस्में हैं; ये प्रति एकड़ 20 से 25 टन उत्पादन देती हैं। बारिश और मौसम के आधार पर, किसान अपनी पसंद की प्रजाति चुन सकते हैं।

एक हेक्टेयर में होगा इतना उत्पादन

शिव शंकर वर्मा के अनुसार, जिमीकंद उगाने के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी (Loamy Soil) सबसे अच्छी होती है। इसके अलावा, अच्छी जल निकासी व्यवस्था और विशिष्ट विशेषताओं वाला खेत चुनें। सूरन की खेती के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श होता है। हम इसे वर्षा आधारित फसल कहते हैं। प्रति एकड़ 40 से 50 टन उत्पादन होता है। 5 से 6 हज़ार रुपये प्रति क्विंटल की दर से यह बाज़ारों में आसानी से बिक जाता है।

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