AGRICULTURE

Cultivation of Turmeric: इस पीली सब्जी की खेती करके किसान पा सकते हैं मोटा मुनाफा, लागत भी है बेहद कम

Cultivation of Turmeric: अगर आप किसान हैं और आपकी फसल से आपको पैसे नहीं मिल रहे हैं, तो आप आवारा जानवरों और सही कीमत न मिलने से चिंतित हैं। इस समस्या का उत्तर आपको बताया जाएगा। हल्दी उगाना एक लाभदायक प्रयास है। हल्दी उगाना एक लाभदायक फसल मानी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई तरह की फसलों को इसकी ज़रूरत होती है। जिसकी हमेशा ज़रूरत होती है। मसाले, दवाइयाँ, सौंदर्य प्रसाधन और कई तरह के दूसरे सामान में हल्दी शामिल होती है। इसके अलावा, हल्दी को बहुत ज़्यादा पानी या सिंचाई की ज़रूरत के बिना भी उगाया जा सकता है। यह फसल उगाना सस्ता है। इससे अच्छी आय हो सकती है।

Cultivation of turmeric
Cultivation of turmeric

आय के आंकड़े

अगर आप एक हेक्टेयर ज़मीन पर हल्दी उगाना चाहते हैं, तो आपको बीज के लिए लगभग 10,000 रुपये, खाद के लिए 10,000 रुपये और किसी भी संबंधित श्रम लागत पर खर्च करना होगा। उत्पादन प्राथमिक कारक (primary factors of production) है जो हल्दी उगाने से होने वाली आय को निर्धारित करता है। हल्दी औसतन प्रति एकड़ 20-25 क्विंटल तक पैदावार दे सकती है। अगर हल्दी की कीमत 200 रुपये प्रति किलोग्राम है तो एक हेक्टेयर में हल्दी की खेती से करीब 5 लाख रुपये की आमदनी हो सकती है।

विशेष सावधानियां

हल्दी उगाने के लिए अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी का चयन करें। इसे उगाने के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल करें। हल्दी उगाते समय कीटों और बीमारियों से बचाव के लिए जरूरी सावधानियां बरतें। सही समय पर फसल को खेत से निकाल लें। बाजार में हल्दी की काफी मांग है। घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर (domestic and international level) पर हल्दी की काफी मांग है। हल्दी को ऑनलाइन भी उचित मूल्य पर बेचा जा सकता है।

अधिकारियों की जरूरी सलाह

जिला कांगड़ा कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. राहुल कटोच के अनुसार, राज्य सरकार जैविक तरीके से हल्दी की खेती करने वाले किसानों को 90 रुपये प्रति किलोग्राम का भुगतान करेगी। उनके अनुसार, बहुत से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है क्योंकि आवारा जानवर उनकी फसल को बर्बाद कर देते हैं, जिसके कारण उन्हें अक्सर अपनी उपज का सही मूल्य (True Value) नहीं मिल पाता है। ऐसे में प्राकृतिक हल्दी उगाना उनके लिए एक आकर्षक उद्यम हो सकता है, इसलिए जिले के किसानों को जल्द से जल्द पंजीकरण करवाना चाहिए। ताकि उन्हें इस योजना के अंतर्गत लाया जा सके।

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