AGRICULTURE

Radish Cultivation: मूली की खेती में अपनाएं ये खास टिप्स, होगा लाखों का मुनाफा

Radish Cultivation: राजस्थान में अभी भी मानसून का मौसम चल रहा है। ऐसे में किसानों के लिए मूली की खेती का आदर्श समय अभी है। पारंपरिक खेती (Traditional Farming) के अलावा, किसान सब्जी की फसल मूली उगाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। आज के कृषि विशेषांक में हम चर्चा करेंगे कि मूली की फसल कैसे उगाएँ और इसे उगाते समय किसानों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। कृषि विशेषज्ञ सोनाराम के अनुसार, मूली उगाते समय किसानों को संतुलित उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए।

Radish cultivation
Radish cultivation

मूली की खेती

कृषि विशेषज्ञ सोनाराम ने किसानों को मूली उगाते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने की सलाह दी। पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए, और फिर भुरभुरी और उपजाऊ मिट्टी – रेतीली या दोमट मिट्टी इसके लिए बेहतर होती है – तैयार करनी चाहिए। बीज बोने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और दिसंबर के बीच है। खरपतवारों को बढ़ने से रोकने के लिए, मूली की खेती (Radish Cultivation) में समय पर पानी और निराई की आवश्यकता होती है।

कृषि विशेषज्ञों (Agricultural Experts) का अनुमान है कि मूली की अच्छी उपज के लिए प्रति एकड़ 10 से 12 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई के दौरान, पौधों के बीच 8 से 10 सेमी और पंक्तियों के बीच 30 से 40 सेमी की दूरी होनी चाहिए। मूली की खेती के लिए संतुलित उर्वरकों का उपयोग आवश्यक है। प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 48 किलोग्राम फॉस्फोरस और 48 किलोग्राम पोटेशियम की मात्रा डालने पर फसल तेजी से विकसित होती है और उच्च गुणवत्ता वाली उपज देती है।

प्राकृतिक उर्वरकों के प्रयोग से उत्पादन में होती है वृद्धि

कृषि विशेषज्ञ सोनाराम के अनुसार, पारंपरिक कृषि विधियों के बजाय आधुनिक तकनीकों का उपयोग करने पर सब्जियों की पैदावार में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि होती है। जैविक खेती से फसल की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। रासायनिक उर्वरकों (Chemical Fertilizers) के बजाय जैविक उर्वरकों का उपयोग करने से लागत कम होती है और मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है। मानसूनी फसलों को प्राकृतिक नमी का लाभ मिलता है, जिससे सिंचाई की लागत कम होती है।

उनके अनुसार, किसान प्राकृतिक कीटनाशकों (Natural Insecticides) का उपयोग करके मूली की खेती कर सकते हैं। बिना कोई पैसा खर्च किए, किसान खरपतवार, गोमूत्र, नीम के पत्ते आदि को मिलाकर एक ड्रम में कीटनाशक बना सकते हैं। इस दवा का छिड़काव करने पर सब्जियों की फसलें अधिक उत्पादन देंगी। इसके अलावा, न तो पैसे खर्च करने पड़ेंगे और न ही बाज़ार से कीटनाशक लाने की परेशानी से जूझना पड़ेगा। यह दवा किसानों के लिए घर पर बनाना बेहद आसान है।

Back to top button