Hing Ki Kheti: हींग की खेती से किसान भाइयों को होगी खूब कमाई, जानिए कैसे…
Hing Ki Kheti: यह जानकारी उन किसानों के लिए मददगार है जो अच्छी आजीविका कमाना चाहते हैं। किसान अब कई तरह की कृषि पद्धतियों में लगे हुए हैं जो उन्हें लाभ पहुँचाती हैं। साथ ही, खेती एक और गतिविधि है जो किसानों को जल्दी ही अमीर बना सकती है। महंगाई के इस दौर में किसान हींग की खेती कर सकते हैं। हींग की खेती थोड़े खर्च में अच्छा मुनाफा दे सकती है। सर्दियों में हींग की खेती की जाती है और अच्छी जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी (Sandy Soil) इसके लिए आदर्श मानी जाती है। हींग की खेती के लिए साल का आदर्श समय अगस्त से सितंबर तक है। भारत की जलवायु के आधार पर हींग की खेती के लिए तीन से चार प्रजातियाँ उपयुक्त हैं।

मूल रूप से, हींग सौंफ़ को ईरानी जड़ी बूटी माना जाता था। भूमध्य सागर क्षेत्र से लेकर मध्य एशिया तक, यह पौधा पाया जा सकता है। हींग भारत में पंजाब और कश्मीर (Punjab and Kashmir) के कुछ हिस्सों में पाई जाती है। हींग के पौधे की लंबाई 1 से 1.5 मीटर होती है। यह ज़्यादातर तुर्कमेनिस्तान, ईरान, अफ़गानिस्तान और बलूचिस्तान में उगाई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यह 20 से 30 डिग्री के बीच के तापमान पर सबसे अच्छी तरह से उगता है।
तेज धूप में यह हो सकता है खराब
पौधे की जड़ से निकाले गए तरल का उपयोग हींग बनाने के लिए किया जाता है। गोंद और स्टार्च (Glue and Starch) को मिलाकर छोटे-छोटे टुकड़ों में यह तरल बनाया जाता है। हींग के पौधों को सीधी धूप के बजाय छायादार जगह पर रखना सबसे अच्छा है। हींग उगाने के लिए ठंडे वातावरण की आवश्यकता होती है; सीधी धूप पौधे को मार सकती है।
अच्छा खासा मुनाफा
एक हेक्टेयर हींग की खेती (Hectare Asafoetida Cultivation) में 3 लाख रुपये का खर्च आता है। पांचवें साल में फसल से करीब 10 लाख रुपये का मुनाफा होता है। बाजार में एक किलो हींग की कीमत चालीस हजार से पैंतालीस हजार रुपये के बीच होती है। हींग को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती क्योंकि इसकी जड़ें गहरी और लंबी होती हैं। पौधे के जम जाने के बाद ही जरूरत पड़ने पर सिंचाई करें। बीच-बीच में खाद डालते रहें। बीच-बीच में खरपतवार निकालते रहें।