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Success Story: रामफल ने दूध बेचकर पलटी बाजी, हजारों की कमाई से बने आत्मनिर्भर किसान

Success Story: जिन लोगों के पास पैसे और सुविधाओं की कमी है और जो जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं, उनके लिए सफलता का मार्ग प्रशस्त है। सरकारी व्यावसायिक पहलों में भाग लेने से सफलता मिल सकती है, और इच्छित कार्य पूरा करने से अधिक संतोषजनक अनुभव प्राप्त होता है।

Success story
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कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखंड की ग्राम पंचायत चारभाठाखुर्द के लाभार्थी विश्राम के पुत्र रामफल का मामला भी कुछ ऐसा ही है। महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत दैनिक आय प्राप्त करने वाले रामफल की एक छोटी सी कंपनी शुरू करने की आकांक्षा थी। आर्थिक तंगी के कारण वह गौपालक बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रहे थे। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme) इन समस्याओं का समाधान थी। गौशाला के निर्माण से कंपनी को गति मिली और अतिरिक्त धन से जीवन आसान हो गया। गौशाला के निर्माण के बाद, गायों को साल भर सुरक्षित रखने के लिए एक अलग सुविधा भी बनाई गई।

पशुशालाएँ पशुओं की सुरक्षा और राजस्व बढ़ाने का एक ज़रिया बन गई हैं

 

गौशाला के अभाव ने कई समस्याएँ पैदा कीं, जिनमें से सबसे प्रमुख थी खराब मौसम से पशुओं की सुरक्षा। बाहर रहने वाले मवेशी इधर-उधर भटकते रहते थे, कीचड़ और गंदगी से गायें बीमार रहती थीं, और इससे जुड़े खर्चे भी थे। शेड के निर्माण से पहले आय कम थी, और मवेशियों की देखभाल के लिए भारी वित्तीय निवेश (huge financial investment) की आवश्यकता थी। गौशाला बनने के बाद ये सभी समस्याएँ स्थायी रूप से हल हो गईं।

गौशाला की संरचना का निरीक्षण

लाभार्थी रामफल को उसकी ग्राम परिषद ने सूचित किया कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना उसके पशुओं के लिए एक स्थायी शेड का निःशुल्क निर्माण करेगी। ग्राम परिषद ने उसकी ज़रूरतों और चिंताओं को दूर करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना का इस्तेमाल किया। परिषद ने एक प्रस्ताव पारित करके ₹68,500 में पशुधन शेड के निर्माण (construction of livestock sheds) को मंज़ूरी दे दी। अक्टूबर 2023 में, अनुमति मिलने के बाद काम शुरू हो गया। काम शुरू होते ही ऐसा लगा जैसे कंपनी के विस्तार का रास्ता साफ़ हो गया हो। निर्माण एक महीने से भी कम समय में पूरा हो गया। गौशाला के निर्माण से, लाभार्थी को स्वयं 48 दिनों का रोजगार मिला और 12 मानव-दिवसों का कार्य प्राप्त हुआ, जिससे अन्य परिवारों सहित सभी गाँवों के लिए ₹7,500 का वेतन प्राप्त हुआ।

रामफल की सफलता की कहानी (Success Story)

रामफल ने गौशाला के महत्व को समझा क्योंकि यही वह स्थान है जो उन्हें समय के साथ अपनी कंपनी को आगे बढ़ाने और अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद कर रहा है। उद्यम एक स्थायी, विशाल पशुधन शेड के निर्माण के साथ आगे बढ़ रहा है। परिवार के लिए दूध उपलब्ध कराने के अलावा, दूध की बिक्री से हर महीने तीन से चार हज़ार रुपये की आय होती है। घर से पूरी कंपनी का संचालन एक खास तरह का आनंद देता है। आय के नए स्रोतों (new sources of income) के विकास के परिणामस्वरूप परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा भी बढ़ रही है। परिवार को यह आय काफी मददगार लग रही है। किसान अपनी दो एकड़ की अल्प कृषि भूमि का उपयोग कृषि गतिविधियों के लिए करते हैं, और इससे उन्हें अपने आप आय होने लगी है।

लाभार्थी रामफल ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि गौशाला के निर्माण से पहले वे अपने पशुओं की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित थे। मुख्य मुद्दों में से एक था मवेशियों को सर्दियों में ठंड से और बरसात में बारिश से सुरक्षित रखना। सीमित आर्थिक संसाधनों (limited economic resources) के कारण वह पशु आश्रय स्थल नहीं बनवा पा रहे थे। रोज़गार गारंटी योजना से उनकी चिंताएँ दूर हो गई हैं और अब उन्हें अपने मवेशियों की सुरक्षा की चिंता नहीं रहती। अपनी कंपनी को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त गायें पालने के अलावा, वह अपने मवेशियों से मिलने वाले पैसे को गौ सेवा में लगा रहे हैं।

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