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Baby Corn Cultivation: स्वीट-बेबी कॉर्न की खेती से जबरदस्त मुनाफा कमाने के लिए फॉलो करें ये बड़े काम के टिप्स

Baby Corn Cultivation: बिहार समेत भारत के ज़्यादातर राज्यों में मक्का मुख्य फ़सल के तौर पर उगाया जाता है, लेकिन किसानों को इससे इतनी आय नहीं होती कि वे अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। फ़सल तैयार होने में पाँच से छह महीने तो लगते ही हैं, साथ ही बीमारी और कीटों (Diseases and pests) का भी ख़तरा बना रहता है। सब कुछ योजना के मुताबिक होने पर भी बाज़ार में इसकी ज़्यादा कीमत नहीं मिलती। ऐसे में समय और खर्च दोनों की भरपाई करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने किसानों की मदद के लिए मक्के की कई ऐसी किस्में विकसित की हैं जो सिर्फ़ 60 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं। इन्हें बेबी कॉर्न और स्वीट कॉर्न कहा जाता है।

Baby corn cultivation
Baby corn cultivation

पश्चिमी चंपारण में होता है उत्पादन 

जिले के माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अभिषेक प्रताप सिंह के अनुसार, इसे उगाने की लागत बेहद कम है और पैदावार चार गुना तक ज़्यादा हो सकती है। हालाँकि इसकी खेती कई सालों पहले कई भारतीय राज्यों (Indian States) में की गई थी, लेकिन अब यह बिहार के ज़्यादातर हिस्सों में भी उगाई जाती है। पश्चिमी चंपारण जिले की धरती पर स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती की जा सकती है, यह बात खुशी की बात है। जिले के मझौलिया क्षेत्र के माधोपुर पंचायत ने दोनों तरह के मक्के की खेती सफलतापूर्वक की है।

आम कॉर्न की तुलना में कम है खर्च

डॉ. अभिषेक के अनुसार, साल के किसी भी महीने में स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की खेती की जा सकती है। यह आम कॉर्न की तुलना में 60 दिनों में तैयार हो जाती है। आर्थिक दृष्टि से, स्वीट और बेबी कॉर्न की खेती आम कॉर्न की तुलना में प्रति एकड़ तीन गुना कम खर्चीली है। वहीं, इसकी लागत आम कॉर्न की तुलना में पांच गुना तक अधिक है। स्वीट कॉर्न की (sweet corn price) कीमत 150 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो सकती है, जबकि बेबी कॉर्न की कीमत 250 रुपये प्रति किलोग्राम तक हो सकती है।

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