SELF EMPLOYMENT

Success Story: पंजाब का यह युवा किसान बासमती चावल की इस किस्म की खेती से कर रहा है मोटी कमाई

Success Story: पंजाब के फाजिल्का जिले के मामूखेड़ा गांव के एक किशोर किसान विक्की गाबा धीरे-धीरे खेती के प्रति समर्पण के एक उल्लेखनीय उदाहरण के रूप में जाने जाते हैं। विक्की ने एक अलग रास्ता चुना है – अपने समुदाय में बने रहना और खेती को अपनी आजीविका और दीर्घकालिक (Livelihood and Long Term) ध्यान दोनों बनाना – ऐसे समय में जब उनकी पीढ़ी के अधिकांश लोग महानगरीय नौकरियों की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से जा रहे हैं।

Success story
Success story

वे पिछले आठ वर्षों से कृषि में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं, एक आत्मनिर्भर जीवन शैली स्थापित कर रहे हैं और अपने समुदाय के अन्य लोगों को खेती के वादे को देखने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। विक्की अपनी डिग्री के लिए काम करते हुए भी विशेषज्ञता और अनुशासन के स्तर के साथ अपने कृषि कर्तव्यों (Agricultural Duties) को संभालते हैं जो वर्षों के अनुभव को दर्शाता है।

उनका व्यवसाय 10 एकड़ पारिवारिक संपत्ति से बढ़कर लगभग 35 से 37 एकड़ हो गया है। खरीफ सीजन के दौरान चावल उगाना, विशेष रूप से पीबी-1121 (पूसा बासमती) किस्म, जो अपनी उच्च उपज और बाजार मूल्य के लिए बेशकीमती है, उनके काम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। धान उनकी कृषि गतिविधियों का एक प्रमुख घटक है, जो पशुपालन (Animal Husbandry) के साथ मिलकर सालाना लगभग 25 मिलियन रुपये कमाता है।

समकालीन परिप्रेक्ष्य के साथ खेती की परंपराएँ

विक्की गाबा जिस परिवार से आते हैं, वह कई पीढ़ियों से खेती कर रहा है। केवल आठ साल पहले ही उन्होंने पेशेवर रूप से खेतों का प्रबंधन शुरू किया। उन्होंने पारंपरिक तरीकों से परे जाकर नए बीज प्रकारों, वैज्ञानिक खेती के तरीकों और समकालीन प्रक्रियाओं (Contemporary Processes) को अपनाया। वह दस देशी गाय और भैंस पालते हैं और पशुपालन करते हैं। उनके खेतों में इन जानवरों से जैविक खाद का उपयोग किया जाता है, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करता है और कुछ हद तक इनपुट लागत को कम करता है।

पूसा बासमती 1121 (PB-1121): क्रांतिकारी प्रकार

शक्तिवर्धक हाइब्रिड सीड्स द्वारा बनाई गई उन्नत चावल किस्म PB-1121 (पूसा बासमती 1121) विक्की की सफलता में सबसे महत्वपूर्ण योगदानकर्ता रही है। यह किस्म अपनी बेहतरीन उत्पादन क्षमता और अपने लंबे, सुगंधित दानों दोनों के लिए प्रसिद्ध है। विक्की के अनुसार, वह प्रति एकड़ लगभग 4 किलोग्राम बीज का उपयोग करके नर्सरी तैयार करता है। रोपाई के बाद नवंबर के पहले सप्ताह तक कटाई पूरी हो जाती है, जो जुलाई के पहले सप्ताह में होती है।

इस किस्म का सबसे बड़ा लाभ इसकी स्थिर बाजार मांग है, जो प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण की गारंटी देता है। उन्हें आम तौर पर प्रति एकड़ 20-24 क्विंटल उत्पादन मिलता है, और अनुकूल बाजार स्थितियों (Favourable Market Conditions) के तहत, उन्होंने इसे 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक बेचा है।

दीर्घकालिक लाभ के लिए विभिन्न खेती के तरीके

विक्की चावल के अलावा चारा फसलें, गेहूं और कपास भी उगाते हैं। लगभग दस साल पहले, गुलाबी बॉलवर्म संक्रमण और अस्थिर बाजार कीमतों से नुकसान को देखते हुए, उन्होंने कपास से चावल की ओर रुख किया। अब वह खरीफ सीजन के दौरान 30 एकड़ पीबी-1121, 5 एकड़ कपास और 2 एकड़ चारा उगाते हैं। रबी सीजन के दौरान उनके खेतों में गेहूं की अधिकता होती है।

इसके अलावा, विक्की दस देशी भैंसों और गायों के साथ एक छोटे से डेयरी फार्म (Dairy Farm) की देखरेख करते हैं। मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और इनपुट लागत बचाने के लिए, वह अपने खेतों में जैविक खाद के रूप में गाय के गोबर का उपयोग करते हैं।

चतुर लागत नियंत्रण और योजना

विक्की की सफलता कोई संयोग नहीं है; यह सावधानीपूर्वक तैयारी और प्रभावी संसाधन आवंटन का परिणाम है। PB-1121 उगाने के लिए उनकी इनपुट लागत, जिसमें श्रम, बीज, उर्वरक और कीटनाशक (Labor, Seeds, Fertilizers and Pesticides) शामिल हैं, लगभग 35,000 रुपये प्रति एकड़ आती है। हालाँकि, शक्तिवर्धक के बेहतरीन बीजों और फर्म द्वारा प्रदान की गई तकनीकी सहायता के कारण उनका मुनाफ़ा लागत से कहीं ज़्यादा है।

उन्हें लगभग 10,000 रुपये की इनपुट लागत पर प्रति एकड़ 22 क्विंटल तक गेहूँ मिल सकता है। दोनों फ़सलें उनकी वार्षिक आय में तब काफ़ी योगदान देती हैं जब कीमतें और पैदावार अनुकूल हों। उनके कृषि साहसिक कार्य का एक प्रमुख घटक शक्तिवर्धक सीड्स टीम से मिलने वाली सहायता है, जिसमें लगातार फ़ील्ड विज़िट और ज्ञानवर्धक मार्गदर्शन शामिल है।

युवा और नवाचार की शक्ति

विक्की गाबा का मानना ​​है कि कृषि को नवाचार को अपनाना चाहिए। उनके अनुसार, आधुनिक खेती (Modern Farming) के लिए चतुर योजना, बेहतर तकनीक और बेहतर किस्म की ज़रूरत होती है। उन्होंने कहा कि बदलाव से डरने के बजाय किसानों को इसे अपनाना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। उनका मानना ​​है कि अगर किसान जागरूक हो और व्यवस्थित तरीके से काम करे तो वह हर साल हजारों रुपए कमा सकता है।

विक्की गाबा की कहानी हमें याद दिलाती है कि खेती कोई बैकअप प्लान नहीं है। यह उपलब्धि हासिल करने का एक तय रास्ता हो सकता है। अपनी पारंपरिक विरासत को आगे की सोच वाले दृष्टिकोण के साथ मिलाकर उन्होंने ऐसी खेती की रणनीति विकसित की है जो टिकाऊ और लाभदायक (Sustainable and Profitable) है। वह पंजाब के किसानों ही नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के सभी युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उनके खेत अनाज के साथ-साथ उम्मीद भी पैदा कर रहे हैं।

Related Articles

Back to top button