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Success Story: इस किसान ने YouTube से सीखी इजरायली तकनीक से केसर आम की खेती, कुछ ही महीनों में हो गया पैसों से लबालब

Success Story: भावनगर क्षेत्र के किसान तेजी से पारंपरिक खेती से हटकर बागवानी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। जिले के तटीय क्षेत्रों महुवा, घोघा और तलाजा में नारियल के बागान उगने लगे हैं। साथ ही, सोसिया, अलंग और जेसर जैसे क्षेत्रों में केसर आम की खेती में तेजी आई है। पर्यावरण की मदद करने के अलावा, किसान जैविक और प्राकृतिक खेती (Organic and Natural Farming) को भी प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे हजारों की नकदी मिलती है। इस साल आम के फूल खिलने से उत्पादकों को बंपर फसल की उम्मीद है।

Cultivation of kesar mango
Cultivation of kesar mango

रमेशभाई की खेती पर नवाचार का खासा असर

जेसर तालुका के बिला गांव के किसान रमेशभाई लवजीभाई राडाडिया ने अभी-अभी 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी की है, लेकिन उन्हें खेती का अच्छा अनुभव और आविष्कारशीलता है। YouTube ट्यूटोरियल देखने के बाद, उन्होंने इजरायली तरीका अपनाया और 2017 में जैविक खेती शुरू की। रमेशभाई ने ब्रह्मास्त्र और निमास्त्र जैसी देशी कीट प्रबंधन तकनीकों का इस्तेमाल किया और अपने खेतों में केवल प्राकृतिक उर्वरकों का इस्तेमाल करना शुरू किया।

इजरायली तकनीक ने आम की खेती को नया जीवन दिया

दस बीघा जमीन पर रमेशभाई ने 10 गुणा 10 के अंतर पर करीब एक हजार केसर आम के पेड़ लगाए। उन्होंने बताया कि इस विधि से पेड़ों के बीच पर्याप्त जगह होने के कारण पेड़ अच्छे से विकसित होते हैं और हर साल अधिक उपज देते हैं। अगले साल उपज को बेहतर बनाने के लिए हर कटाई के बाद पौधों की छंटाई की जाती है।

कम लागत में अधिक लाभ

इस प्रणाली की खासियत यह है कि इससे एक दिन में 100 आमों की तुरन्त कटाई की जा सकती है, जिससे मजदूरी की लागत भी काफी कम हो जाती है। रमेशभाई के अनुसार, उन्होंने YouTube देखकर इस तकनीक को जाना और तब से इसे पूरी तरह अपना लिया है। मक्खियों और धूप जैसे कीड़ों से आमों को बचाने के लिए उन्होंने उन पर फ्रूट प्रोटेक्टर भी लगा रखे हैं। इससे आम और भी आकर्षक हो गए हैं।

केवल स्थानीय स्तर पर उत्पादित जैविक खाद

रमेशभाई के खेतों में आम की फसल कृत्रिम कीटनाशकों या उर्वरकों (Crop Synthetic Pesticides or Fertilizers) के उपयोग के बिना उगाई जाती है। अरंडी का तेल, जीवामृत और धनजीवामृत ही वे प्राकृतिक उर्वरक हैं जिनका वे उपयोग करते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और आम का स्वाद भी बरकरार रहता है।

एक बीघा से एक लाख रुपए कमाया

रमेशभाई का दावा है कि फसल पकने के बाद एक बीघा जमीन से एक लाख रुपए से अधिक की आय हो सकती है। जो किसान रासायनिक खेती (Chemical Farming) से हटकर पर्यावरण के अनुकूल कृषि पद्धतियों को अपनाना चाहते हैं और कम लागत पर उत्पादकता बढ़ाना चाहते हैं, वे इस दृष्टिकोण से प्रेरणा ले सकते हैं।

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