Cultivation of Parwal: इस किसान ने परवल की खेती में अपनाया ये तरीका और कमाया खूब मुनाफा
Cultivation of Parwal: अगर आप पहले से ही सब्ज़ियाँ उगाते हैं या ऐसा करने पर विचार कर रहे हैं, तो परवल उगाना (Growing Parwal) आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। खास तौर पर अगर आप नर और मादा दोनों परवल एक साथ उगाएँ, तो पैदावार में काफ़ी इज़ाफ़ा हो सकता है। इस तकनीक का इस्तेमाल करके सीतामढ़ी जिले के पुपरी के किसान पप्पू ठाकुर ने काफ़ी मुनाफ़ा कमाया है और अब वे दूसरों को भी इसके बारे में बता रहे हैं। थोड़ी समझदारी से खेती करने से मुनाफ़ा ही होता है। अगर आप परवल उगाना चाहते हैं, तो पप्पू ठाकुर की तरह इस तकनीक का इस्तेमाल करके देखें।

मिट्टी स्वस्थ रहेगी और उत्पादन बढ़ेगा
प्राकृतिक तरीके (Natural ways) से खेती करने से आप न केवल उत्पादन बढ़ाएंगे बल्कि पारिस्थितिकी और मिट्टी के स्वास्थ्य को भी बचाएंगे। परवल का पौधा वास्तव में उभयलिंगी नहीं होता है; यानी नर और मादा फूल अलग-अलग पौधों पर दिखाई देते हैं। अगर केवल मादा पौधे लगाए जाएं तो फल नहीं लगते क्योंकि उन्हें परागण की आवश्यकता होती है, जो केवल नर फूलों से ही हो सकता है।
इसलिए, खेती के दौरान दोनों तरह के पौधे मौजूद होने चाहिए। किसान पप्पू ठाकुर के अनुसार, उन्होंने अपनी जमीन पर नर और मादा परवल के पौधों का अनुपात 10:1 है। यह दर्शाता है कि हर दस मादा पौधों पर एक नर पौधा है। इससे परागण में आसानी होती है और अधिक और उच्च गुणवत्ता वाले फल मिलते हैं।
कम लागत पर अधिक लाभ
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि परागण के लिए औषधीय दवाओं (Pharmacological Drugs) या बाहरी सहायता की आवश्यकता नहीं होती है। लाभ बढ़ता है और खर्च भी कम होता है। पप्पू ठाकुर का दावा है कि इस तकनीक का उपयोग शुरू करने के बाद से उनके परवल उत्पादन में 20 से 30 प्रतिशत का सुधार हुआ है। बड़े, चमकदार, हरे फलों के कारण उनके परवल की भी बाजार में काफी मांग है। इस तरह उन्होंने 12 कट्ठा खेत में परवल लगाया। पूसा स्थित राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के एक कृषि विशेषज्ञ ने उन्हें इस तरीके से खेती करने का आइडिया दिया और तब से वे खेती कर रहे हैं। उन्होंने वहां के एक किसान से पौधा भी खरीदा। तब से अब वे खुद के लिए नर्सरी तैयार करने के अलावा उसे तैयार कर बेचते भी हैं।