Paddy Cultivation: इस समय करें धान की बुवाई, किसानों को मिलेगा भारी मुनाफा
Paddy Cultivation: 25 मई को सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही नए कृषि सत्र की शुरुआत भी होगी। इसके मद्देनजर किसानों ने खेतों की जुताई शुरू कर दी है। रोहिणी नक्षत्र में खेतों में धान की नर्सरी (Rice Nursery) डाली जाएगी। रोहिणी नक्षत्र में धान के बीज बोए जाते हैं, ताकि समय पर रोपाई हो सके। कीमत के हिसाब से फसल भी अधिक मात्रा में पैदा होती है। इसलिए इस नक्षत्र में बिहार के अधिकांश जिलों में किसान धान के बीज की नर्सरी डालते हैं।

इसे शुभ समय माना जाता है
रोहिणी नक्षत्र में खेतों में धान के बीज बोना शुभ माना जाता है और यह खेती के लिए वरदान है। किसान भी मानते हैं कि इस नक्षत्र में बीज बोने (Sowing Seeds) से खेती में उन्नति होती है। नवंबर में रोहिणी नक्षत्र में बीज बोने वाले किसानों की फसल तैयार हो जाती है। नतीजतन, रबी की फसल भी तय समय पर बोई जाती है। रोहिणी नक्षत्र में बीज बोने से चावल का पौधा तेजी से विकसित होता है।
धान की पौधे अभी से लगा देनी चाहिए
रोहिणी नक्षत्र के दौरान बिहार के गयाजी क्षेत्र में कई किसान खेतों में धान के बीज बोते हैं। आपको बता दें कि इस साल रोहिणी नक्षत्र 25 मई से शुरू हो रहा है। इस दिन दोपहर 2:07 बजे सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा, जहां वह 8 जून की दोपहर तक रहेगा। इसके बाद 8 जून को सूर्य मृगशिरा नक्षत्र (Sun in Orion Constellation) में प्रवेश करेगा। रोहिणी नक्षत्र के दौरान तापमान काफी अधिक होता है। बहरहाल, मृगशिरा और आद्रा नक्षत्र के दौरान इस क्षेत्र के अधिकांश किसान धान की पौधे लगाते हैं।
अधिक फसल पैदा होती है
जिले के टंकुप्पा प्रखंड के किसान अमीरक चौधरी के अनुसार, रोहिणी नक्षत्र के दौरान खेतों में जदहां धान या 160 दिनों तक चलने वाला बीज लगाया जा सकता है। रोहिणी नक्षत्र के दौरान किसान अक्सर खेतों में लंबी अवधि वाले धान के पौधे लगाते हैं। रोहिणी नक्षत्र (Rohini Nakshatra) में बोए गए धान के बीज भी अधिक फसल देते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान, सूरज की रोशनी सीधे जमीन पर पड़ती है, जिससे बीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इस समय खेत तैयार होने के कारण, सूरज की रोशनी मिट्टी में गहराई तक प्रवेश कर सकती है, जिससे बीमारी से बचाव हो सकता है।